बारिश की बूँदें देखो
कहलाती है ये मुझसे
अनकही सी एक दास्तान
रिम झिम सी थी वो नज़रे
थम सी गयी थी कबसे
मिलने को तरसे हम जहाँ
मिट्टी की खुश्बू लाई
घने बादलों से बरसाई
पल दो पल मे ये कैसे
मौसम ने ली अंगड़ाई
न रे न रे न न ना र
न रे न रे न न ना र
न रे न रे न न ना न ना
खुशियों के खत वो लेकर
ज़मीन पे मिलने आई
भुला के सारे गुम वो
तेरे संग यू लहराई
खिल सी उठी वो राहे
ओह राही ओह राही रे
आ लौट चल घर अपने
रंग दे अधूरे सपने
हे हो हो हो