कभी कहा न किसी से तेरे फ़साने को
न जाने कैसे ख़बर हो गई ज़माने को
कभी कहा न किसी से तेरे फ़साने को
न जाने कैसे ख़बर हो गई ज़माने को
कभी कहा न किसी से
दुआ बहार की मांगी तो इतने फूल खिले
दुआ बहार की मांगी तो इतने फूल खिले
कहीं जगह न मिली मेरे आशियाने को
न जाने कैसे ख़बर हो गई ज़माने को
कभी कहा न किसी से
अब आगे इस में तुमहारा भी नाम आए गा
अब आगे इस में तुमहारा भी नाम आए गा
जो हुकम हो तो यहीं छोड़ दूं फ़साने को
न जाने कैसे ख़बर हो गई ज़माने को
कभी कहा न किसी से
कमर ज़रा भी नहीं तुम को ख़ौफ़-ए-रुसवाई
कमर ज़रा भी नहीं तुम को ख़ौफ़-ए-रुसवाई
चले हो चांदनी शब में उन्हें बुलाने को
न जाने कैसे ख़बर हो गई ज़माने को
कभी कहा न किसी से तेरे फ़साने को
न जाने कैसे ख़बर हो गई ज़माने को
कभी कहा न किसी से