कल के अपने न जाने क्यों
हो गए आज पराये
कल के अपने न जाने क्यों
हो गए आज पराये
रेत का सागर प्यार का सपना
प्यासा ही तरसाये
कल के अपने न जाने
क्यों हो गए आज पराये
प्यार में क्या क्या
रंग भरे थे
लिखी थी दो तकदीरे
प्यार में क्या क्या
रंग भरे थे
लिखी थी दो तकदीरे
आयी जो आंधी बनकर
मिट गयी बदल की तस्वीरे
प्यार का रंग है जाने कैसा
रंग डाग बन जाये
कल के अपने न जाने
क्यों हो गए आज पराये
दोष नहीं है तूफानों का
माझी ही ले डूबे
दोष नहीं है तूफानों का
माझी ही ले डूबे
दीवानापन बनकर
रह गए मन के मनसूबे
काश वो सागर सामने आये
बनते ही गिर जाये
कल के अपने न जाने
क्यों हो गए आज पराये
रेत का सागर प्यार का सपना
प्यासा ही तरसाये
कल के अपने न जाने
क्यों हो गए आज पराये