लाई हयात आये क़ज़ा ले चली चले
अपनी खुशी न आये न अपनी खुशी चले
बेहतर तो है यही की न दुनिया से दिल लगे
बेहतर तो है यही की न दुनिया से दिल लगे
पर क्या करे जो काम न बे-दिल्लगी चले
दुनिया ने किस का राह-ए-फ़नां में दिया है साथ
दुनिया ने किस का राह-ए-फ़नां में दिया है साथ
तुम भी चले चलो यूँही जब तक चली चले
जाते हवा-ए-शौख में हैं इस चमन से ज़ौक़
जाते हवा-ए-शौख में हैं इस चमन से ज़ौक़
अपनी बला से बाद-ए-सबा अब कभी चले
लाई हयात आये क़ज़ा ले चली चले
अपनी खुशी न आये न अपनी खुशी चले