मचल के जब भी आँखों से
छलक जाते है दो आंसू
मचल के जब भी आँखों से
छलक जाते है दो आंसू
सुना है आबशारों को बड़ी
तकलीफ होती है
मचल के जब भी आँखों से
छलक जाते है दो आंसू
मचल के जब भी आँखों से
ख़ुदारा अब तो बुझ जाने दो इस
जलती हुई लौ को
ख़ुदारा अब तो बुझ जाने दो इस
जलती हुई लौ को
चरागों से मज़ारो को बड़ी
तकलीफ होती है
चरागों से मज़ारो को बड़ी
तकलीफ होती है
मचल के जब भी आँखों से
छलक जाते है दो आंसू
मचल के जब भी आँखों से
कहूँ क्या वो बड़ी मासूमियत से
पूछ बैठे है
कहूँ क्या वो बड़ी मासूमियत से
पूछ बैठे है
क्या सच मुच दिल के मारो को बड़ी
तकलीफ होती है
क्या सच मुच दिल के मारो को बड़ी
तकलीफ होती है
मचल के जब भी आँखों से
छलक जाते है दो आंसू
मचल के जब भी आँखों से
तुम्हारा क्या तुम्हे तो
राह दे देते है कांटे भी
तुम्हारा क्या तुम्हे तो
राह दे देते है कांटे भी
मगर हम खाकज़ारो को बड़ी
तकलीफ होती है
मगर हम खाकज़ारो को बड़ी
तकलीफ होती है
मचल के जब भी आँखों से
छलक जाते है दो आंसू
सुना है आबशारों को बड़ी
तकलीफ होती है
मचल के जब भी आँखों से
छलक जाते है दो आंसू
मचल के जब भी आँखों से
छलक जाते है दो आंसू
मचल के जब भी आँखों से
छलक जाते है दो आंसू