क्या उम्मीद करें हम उनसे
जिनको वफ़ा मालूम नहीं
जिनको वफ़ा मालूम नहीं
ग़म देना मालूम है लेकिन
ग़म की दवा मालूम नहीं
ग़म की दवा मालूम नहीं
क्या उम्मीद करें हम उनसे
जिनकी गली में उमर गँवा दी
जीवन भर हैरान रहे
पास भी आ के पास ना आये
जान के भी अन्जान रहे
कौन सी आख़िर की थी हमने
ऐसी ख़ता मालूम नहीं
ऐसी ख़ता मालूम नहीं
क्या उम्मीद करें हम उनसे
ऐ मेरे पागल अरमानों
झूठे बन्धन तोड़ भी दो
ऐ मेरे पागल अरमानों
झूठे बन्धन तोड़ भी दो
ऐ मेरी ज़ख़मी उम्मिदों
ऐ मेरी ज़ख़मी उम्मिदों
दिल का दामन छोड़ भी दो
तुमको अभी इस नगरी में
जीने की सज़ा मालूम नहीं
हाय सज़ा मालूम नहीं
क्या उम्मीद करें हम उनसे