आ आ आ आ आ
ओढ़ चुनरिया तारों की
ओढ़ चुनरिया तारों की, चँदा को लेने रात चली
ओढ़ चुनरिया तारों की
कर सोलह सिंगार बांवरी
कर सोलह सिंगार बांवरी, महंदी से रँग हाथ चली
ओढ़ चुनरिया तारों की
बड़ी बड़ी उम्मीदें लेकर
बड़ी बड़ी उम्मीदें लेकर, चली पिया को मनाने
मन ही मन में डरती है वो माने या न माने
हाय ये दीवाने दिल में दिल की लेकर बात चली
ओढ़ चुनरिया तारों की
जब उसने पी अपने देखे, आँख उसकी भर आई
ये थी अपना जिसे समझती, निकला वो हरजाई
ये बांवरी प्रेम की देखो, आज है लेकर घाट चली
ओढ़ चुनरिया तारों की, चँदा को लेने रात चली
ओढ़ चुनरिया तारों की