शबाब आने से पहले
उनका आलम और ही कुछ था
अदामे सादगी थी और तबस्सुम और ही कुछ था
हमारे देखते ही देखते क्या इंक़लाब आया
शबाब आया मगर
मत पुछिये कैसा शबाब आया
वाह वाह सुभानअल्लाह
हाँ आ आ नज़र भर रामा तका भी ना जाए
नज़र भर रामा तका भी ना जाए
घूँघटवा जो खोले करजवा हिलाए
घूँघटवा जो खोले करजवा हिलाए
नज़र भर रामा तका भी ना जाए
नज़र भर रामा
आह आ जमाने मे कहाँ अब रह गया
कोई जवाब उनका
सुभान अल्लाह क्या जवाब हैं
के अब तो सामना करता नही हैं
आफताब उनका
आई आई ओ
गनीमत हैं की पर्दे से वो बाहर कम निकलते हैं
निकलते हैं तो उस दिन
आशिक़ो के दम निकलते हैं
अरे सू बोलियो पिसिंग जी (अरे जवाब तो दीजिए)
हा नज़र भर रामा तका भी ना जाए
नज़र भर रामा तका भी ना जाए
घूँघटवा जो खोले करेजवा हिलाए
घूँघटवा जो खोले करजवा हिलाए (?)
नज़र भर रामा तका भी ना जाए
नज़र भर रामा
अरे मियाँ ये तबला तो अच्छा बजता है यार हाँ
हँसी होंठो पे आँखो मे शरारत हमने देखी हैं
सुभान अल्लाह क्या सेर हैं
कयामत की कसम जिंदा कयामत हमने देखी हैं
अरे क्या कयामत हैं
जमी के रहने वालो के तो दिल अक्सर रुके होंगे
फरिश्तो ने जो देखा हैं
तो फिर वो भी झुके होंगे
अरे वा वा भाई, मरूं तकले रे बाबा
हा नज़र भर रामा तका भी ना जाए
नज़र भर रामा तका भी ना जाए
घूँघटवा जो खोले करजवा हिलाए
घूँघटवा जो खोले करजवा हिलाए (?)
नज़र भर रामा तका भी ना जाए
नज़र भर रामा