घोर अंधेरा
कहता रहा, हार जा
एक सितारा
माना नही, ना डरा
रोशनी की ए क बूँद पे, ज़िंदा रहा वो, ज़िंदा रहा वो
ज़िंदगी की कुछ डोरियो को जकड़े हुए, केहता रहा
हक़ है मुझे जलने का (हक़ है मुझे जलने का)
हक़ है मुझे जीने का (हक़ है मुझे जीने का)
हक़ है मेरा अंबर पे, लेके रहूँगा हक़ मेरा (हक़ है मेरा अंबार पे, लेके रहूँगा हक़ मेरा)
लेके रहूँगा हक़ मेरा, करता हूं वादा
मेरे लहू का
क़तरा अभी गर्म है
एक अधूरा मेरा अभी कर्म है
दिन महीने और साल की गिनता रहा वो, गिनता रहा वो
होसले की कुछ तिलियो को पकड़े हुए, कहता रहा
हक़ है मुझे जलने का (हक़ है मुझे जलने का)
हक़ है मुझे जीने का (हक़ है मुझे जीने का)
हक़ है मेरा अंबर पे, लेके रहूँगा हक़ मेरा (हक़ है मेरा अंबार पे, लेके रहूँगा हक़ मेरा)
लेके रहूँगा हक़ मेरा, करता हूं वादा
मैं जानता हू मुझे आख़िर एक ना एक दिन, मारना है (औ औ औ औ औ औ औ)
पर जब तलाक़ भी जीयू वो जीना कैसा, तेय करना है (औ औ औ औ औ औ औ)
मिट्टी की काया मे लोहे का है इरादा
हक़ है मुझे जलने का (हक़ है मुझे जलने का)
हक़ है मुझे जीने का (हक़ है मुझे जीने का)
हक़ है मेरा अंबर पे, लेके रहूँगा हक़ मेरा (हक़ है मेरा अंबार पे, लेके रहूँगा हक़ मेरा)
लेके रहूँगा हक़ मेरा
तू देख लेना