मैंने एक ख्वाब सा देखा है
ज़रा मै भी सुनु
सुन के शर्मा तोह नै जाओगी
हम्म ह्म तुमसे नहीं
मैंने देखा है फूलों से लड़ी शाखों में
तुम लचकती हुई मेरे करीब आई हो
आआअ
जैसे मुद्दत से युहीं साथ रहा हो अपना
जैसे अबकी नहीं सदियों की शनासाई हो
मैंने भी ख्वाब सा देखा है
कहो,तुम भी कहो
खुद पे इतरा तो न जाओगे
नहीं खुद पे नहीं
मैंने देखा की गाते हुए झरनों के करीब
अपनी बेताबी जज़्बात कही है तुमने
हम्म हम्म
कापते होठों से रूकती हुई आवाज़ के साथ
जो मेरे दिल में थी वही बात कही है तुमने
हम्म हम्म हम्म मम्म (हम्म हम्म हम्म मम्म)
आंच देने लगा कदमों के तले बर्फ का फर्श
आज जाना की मोहब्बत में है गर्मी कितनी
हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म
संगमरमर की तरह
सख्त बदन में तेरे
आ गयी है मेरे
छूलेने से नर्मी कितनी
हम्म हम्म हम्म मम्म
हम चले जाते हैं और दूर तलाक कोई नहीं
हम चले जाते हैं और दूर तलाक कोई नहीं
सिर्फ पत्तों के चटकने की सदा आती है
दिल में कुछ ऐसे ख़यालात ने करवट ली है
मुझको तुम से नहीं अपने से हया आती है
हम्म्म हम्म हम्म हम्म्म
मैंने देखा की कोहरे से भरी वादी में
मैं ये कहता हूँ चलो आज कहीं खो जाएँ
हम्म हम्म हह्म्म्म हम्म
मैं ये कहती हूँ की खोने के ज़रुरत क्या है
ओढ़ कर धुंध की चादर को यहीं सो जाएँ
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म्म हम्म्म्म