मैं करता रहा औरों की कही मेरी बात मेरे मन ही में रही मैं करता रहा औरों की कही मेरी बात मेरे मन ही में रही कभी मंदिर में, कभी महफ़िल में सजता ही रहा हूँ मैं घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं
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मैं करता रहा औरों की कही मेरी बात मेरे मन ही में रही मैं करता रहा औरों की कही मेरी बात मेरे मन ही में रही कभी मंदिर में, कभी महफ़िल में सजता ही रहा हूँ मैं घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं