ऐ वतन मेरे वतन रूह-ए-रवानी अहरार
ऐ के ज़र्रों में तेरे बू-ए-चमन रंग-ए-बहार
रेज़-ए-अल्मास के तेरे ख़स-ओ-ख़ाशाक़ में हैं
हड्डीयाँ अपने बुज़ुर्गों की तेरी ख़ाक में हैं
तुझ से मुँह मोड़ के मुँह अपना दिखाएँगे कहाँ
घर जो छोड़ेंगे तो फिर छाँव निछाएँगे कहाँ
ऐ वतन मेरे वतन, ऐ वतन मेरे वतन
बज़्म-ए-अग़यार में आराम ये पायेंगे कहाँ
तुझसे हम रूठ के जायें भी जायेंगे कहाँ
तुझसे हम रूठ के जायें भी जायेंगे कहाँ
तुझसे हम रूठ के जायें भी जायेंगे कहाँ
ऐ वतन मेरे वतन, ऐ वतन मेरे वतन
ऐ वतन मेरे वतन, ऐ वतन मेरे वतन