भूलता ही नहीं
खुश्बू सा वो बदन
ढूंडती है जिसे
साँसों की हर शिकन
भूलता ही नहीं
खुश्बू सा वो बदन
देखते ही जिसे
हो गेआ था मिलन
देखने मैं किरण
छूने मैं अगन
याद है मुझे
मॅन की वो दुखन
भूलती नहीं
वो पहली लगान
याद है मुझे
वो खुश्बू सा बदन
बीती हुवी बातों
को सोचों तो
जलता है मेरा मॅन
में कहाँ वो कहाँ
बस यादें रह गईइन
कह सका जो ना में
वो बातें रह गईइन
जागने के लिए
बस रातें रह गएीँ
रास्ते हैं वोही
दूरियाँ बरह गएीँ
च्छेदती हैं मुझे
मेरी तनहाईयाँ
याद है मुझे
मॅन की वो दुखन
भूलती नहीं
वो पहली लगान
याद है मुझे
वो खुश्बू सा बदन
बीती हुवी बातों को सोचों तो
जलता है मेरा मॅन