आदत नही है तुम बिन मुझे जीने की
हां आदत नही है तुम बिन मुझे जीने की
आदत नही है तुम बिन मुझे जीने की
हर साँस को ज़हेर के जैसे पीने की
हर साँस को ज़हेर के जैसे पीने की
आदत नही है तुम बिन मुझे जीने की
आदत नही है तुम बिन मुझे जीने की
बेन्तेहा तुझको चाहूं मैं
एक पल जो बिन तेरे जी ना पाउ मैं
तो कैसे जीउँगा मैं ज़िंदगी सारी
दिल पे मेरे है तेरी खुमारी
धड़कन ना चलेगी तुम बिन सीने की
आदत नही है तुम बिन मुझे जीने की
हर पल रहूं साथ मैं तेरे
अब चाहे यही रात दिन मेरे
बयान हाले दिल है इन निगाहों से
हासिल सुकून है तेरी पनाहों से
ना वक़्त कभी ना आए घूम सीने की
आदत नही है तुम बिन मुझे जीने की
हर साँस को ज़हेर के जैसे पीने की
हर साँस को ज़हेर के जैसे पीने की
आदत नही है तुम बिन मुझे जीने की
जीने की