पहले जैसी सुबह नही
वो पहले जैसी शाम नही
ये घर तो है वही मगर
इस घर का अब घर नाम नही
कभी कभी में सोचु
कभी कभी में सोचु, वीराना कैसा होगा
वीरान मेरे दिल जैसा होगा, और कैसा होगा
कभी कभी मैं सोचु
क्या सोचा, क्या हुआ
मेरा सुंदर सपना टूट गया
मेरा सुंदर सपना टूट गया
पहले एक गया
अब दूजा बेटा माँ से रूठ गया
कभी कभी में सोचु
कभी कभी में सोचु, ये नर्क कैसा होगा
नर्क मेरे घर जैसा होगा, और कैसा होगा
कभी कभी में सोचु