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Kavita Krishnamurthy - Teri Bagon Ki Bulbul Lyrics



Kavita Krishnamurthy - Teri Bagon Ki Bulbul Lyrics
Official




हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म

तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली
हो बगिया ये छोड़ चली
तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली
हो बगिया ये छोड़ चली
तेरी महेलो दो महेलो से बाबुल
रिश्ता मैं तोड़ चली
हो रिश्ता मैं तोड़ चली
तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली

किसने ऐसी रीत बनाई
किसने ऐसी रीत बनाई
आँखो में आँसू आए
कौन जनम के पाले हम को
कौन हमे ले जाए
तेरी रानी मैं लाड़ली तेरी
तुझसे मुँह मोड़ चली
हो बगिया ये छोड़ चली
तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली

हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म

बचपन से जो देख रही थी
बचपन से जो देख रही थी
मैं वो था एक सपना
लिख ने वाले ने लिखा था
साथ यही तक अपना
कर माफ़ कहा सुना मेरा
हाथ मैं जोड़ चली
हो बगिया ये छोड़ चली
तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली

तेरे घर मेहमान थी मैं तो
तेरे घर मेहमान थी मैं तो
आज ये मैने जाना
तेरी गलियो में ना जाने
फिर कब होगा आना
बड़ी लंबी जुदाई की चुनरी
सर पे मैं ओढ़ चली
तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली
तेरी महेलो दो महेलो से बाबुल
रिश्ता मैं तोड़ चली
हो बगिया ये छोड़ चली
तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली

हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
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हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म

तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली
हो बगिया ये छोड़ चली
तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली
हो बगिया ये छोड़ चली
तेरी महेलो दो महेलो से बाबुल
रिश्ता मैं तोड़ चली
हो रिश्ता मैं तोड़ चली
तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली

किसने ऐसी रीत बनाई
किसने ऐसी रीत बनाई
आँखो में आँसू आए
कौन जनम के पाले हम को
कौन हमे ले जाए
तेरी रानी मैं लाड़ली तेरी
तुझसे मुँह मोड़ चली
हो बगिया ये छोड़ चली
तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली

हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म

बचपन से जो देख रही थी
बचपन से जो देख रही थी
मैं वो था एक सपना
लिख ने वाले ने लिखा था
साथ यही तक अपना
कर माफ़ कहा सुना मेरा
हाथ मैं जोड़ चली
हो बगिया ये छोड़ चली
तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली

तेरे घर मेहमान थी मैं तो
तेरे घर मेहमान थी मैं तो
आज ये मैने जाना
तेरी गलियो में ना जाने
फिर कब होगा आना
बड़ी लंबी जुदाई की चुनरी
सर पे मैं ओढ़ चली
तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली
तेरी महेलो दो महेलो से बाबुल
रिश्ता मैं तोड़ चली
हो बगिया ये छोड़ चली
तेरे बागों की बुलबुल मैं बाबुल
बगिया ये छोड़ चली

हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
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Writer: ANAND BAKSHI, LAXMIKANT SHANTARAM KUDALKAR, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA
Copyright: Lyrics © Royalty Network




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