[ Featuring ]
हस्सी मजाक मे किशोर दा का ज्वाब नही था
इक दिन कहने ल्ग्गे "दादा मुनि को मुझपे बहुत ज़्यादा गुस्सा आया"
और वो डांट कर मुझसे बोले "किशोर तू बहुत ब्डा गढ़ा हैं"
मैने हाथ जोड़े और कहा "नही दादा मुनि बड़े तो आप हैं मैं तो छोटा हूँ"
हमें तुम से प्यार कितना
ये हम नहीं जानते
मगर जी नहीं सकते
तुम्हारे बिना
हमें तुम से प्यार कितना
ये हम नहीं जानते
मगर जी नहीं सकते
तुम्हारे बिना
हमें तुम से प्यार
सुना गम जुदाई का, उठाते हैं लोग
जाने ज़िंदगी कैसे, बिताते हैं लोग
दिन भी यहाँ तो लगे, बरस के समान
हमें इंतज़ार कितना, ये हम नहीं जानते
मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना
हमें तुम से प्यार
तुम्हें कोई और देखे, तो जलता है दिल
बड़ी मुश्किलों से फिर, सम्भलता है दिल
क्या क्या जतन करतें हैं, तुम्हें क्या पता
ये दिल बेक़रार कितना, ये हम नहीं जानते
मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना
हमें तुम से प्यार कितना
ये हम नहीं जानते
मगर जी नहीं सकते
तुम्हारे बिना
हमें तुम से प्यार