ओ रामा हो हो, ओ रामा हो हो
मन में लगन जगाई
तन में अगन लगाई, फिर दे दी जुदाई
तुम दोस्त हो या दुश्मन राम जी
तुम दोस्त हो या दुश्मन राम जी
मन में लगन जगाई
तन में अगन लगाई, फिर दे दी जुदाई
तुम दोस्त हो या दुश्मन राम जी
तुम दोस्त हो या दुश्मन राम जी
ओ रामा हो हो, ओ रामा हो हो
कब तक सहू मैं ये सितम कब तक चुप रहु
कब तक आसुओ कि नदी बनके मैं बहु
कब तक सहू मैं ये सितम कब तक चुप रहु
कब तक आसुओ कि नदी बनके मैं बहु
ओ रामा हो हो, ओ रामा हो हो
काहे प्रीत बढ़ाई काहे दी ये तनहाई
तोहे लाज न आयी
तुम दोस्त हो या दुश्मन राम जी
तुम दोस्त हो या दुश्मन राम जी
मंदिर मैं तुम्हारे झिलमिलाते है दिए
ग़म के अँधेरो मैं घुट घुट के क्यू जिए
मंदिर मैं तुम्हारे झिलमिलाते है दिए
ग़म के अँधेरो मैं कोई घुट घुट के क्यू जिए
ओ रामा हो हो, ओ रामा हो हो
अच्छी प्रीत निभाई ऐसी की जग हँसाई
अब उठने ना पायी
तुम दोस्त हो या दुश्मन राम जी
तुम दोस्त हो या दुश्मन राम जी
मन में लगन जगाई
तन में अगन लगाई, फिर दे दी जुदाई
तुम दोस्त हो या दुश्मन राम जी
तुम दोस्त हो या दुश्मन राम जी
ओ रामा हो हो, ओ रामा हो हो
ओ रामा हो हो, ओ रामा हो हो
ओ रामा हो हो, ओ रामा हो हो