सौ बार बनाकर मालिक ने सौ बार मिटाया होगा
सौ बार बनाकर मालिक ने सौ बार मिटाया होगा
ये हुस्न मुज्जसिम तब तेरा इस रंग पे आया होगा
सौ बार बनाकर मालिक ने सौ बार मिटाया होगा
कई लाल तराशे होंगे तब होंठ बनाए होंगे
कई लाल तराशे होंगे तब होंठ बनाए होंगे
दातों की जगेह पे मोती चुन चुन के लगाए होंगे
ज़ूलफे काली करने को बदली को जलाया होगा
ये हुस्न मुज्जसिम तब तेरा इस रंग पे आया होगा
सौ बार बनाकर मालिक ने सौ बार मिटाया होगा
सागर के सुनेहरे सीपी पल्कों पे सजाए होंगे
सागर के सुनेहरे सीपी पल्कों पे सजाए होंगे
दो नीलकमल नीलम सी आँखो मे खिलाए होंगे
अंगो मे चमक देने को चंदा को गलाया होगा
ये हुस्न मुज्जसिम तब तेरा इस रंग पे आया होगा
सौ बार बनाकर मालिक ने सौ बार मिटाया होगा
सौ बार बनाकर मालिक ने सौ बार मिटाया होगा