होता रहा यूँ ही अगर
अंजाम वफ़ा का
लेगा न ज़माने में
कोई नाम वफ़ा का
होता रहा यूँ ही अगर
अंजाम वफ़ा का
लेगा न ज़माने में
कोई नाम वफ़ा का
होता रहा यूँ ही अगर
अंजाम वफ़ा का
लेगा न ज़माने में
कोई नाम वफ़ा का
सिंदूर की लाली है
किसी के सुहाग में
जीते जी जल रहा है
कोई गम की आग में
कोई गम की आग में
इस के सिवा होगा भी क्या
अंजाम वफ़ा का
लेगा न ज़माने में
कोई नाम वफ़ा का
होता रहा यूँ ही अगर
अंजाम वफ़ा का
लेगा न ज़माने में
कोई नाम वफ़ा का
जाकर नहीं आना जिसे
क्यों देखे वो मुडके
मिलते नहीं हमराही
दोराहे पे बिछडके
दोराहे पे बिछडके
मालूम है होता है
ओ अजाम वफ़ा का
लेगा न ज़माने में
कोई नाम वफ़ा का
होता रहा यूँ ही अगर
अंजाम वफ़ा का
लेगा न ज़माने में
कोई नाम वफ़ा का
कसमे नहीं निभाती
धरे रह जाते है वादे
ये रेत की दीवार है
जो चाहे गिरा दे
जो चाहे गिरा दे
सौ काम जफ़ाओ के है
इक काम वफ़ा का
लेगा न ज़माने में
कोई नाम वफ़ा का
होता रहा यूँ ही अगर
अंजाम वफ़ा का
लेगा न ज़माने में
कोई नाम वफ़ा का