औ औ औ औ औ (आ आ आ आ)
आनंद मंगल करू आरती जय गायत्री माता
आनंद मंगल करू आरती जय गायत्री माता
चारो वेदो की जननी तू महामंत्र की दाता
चारो वेदो की जननी तू महामंत्र की दाता
आनंद मंगल करू आरती जय गायत्री माता (आनंद मंगल करू आरती जय गायत्री माता)
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
तेरी महिमा है निराली तू सबकी करे रखवाली
तेरी महिमा है निराली तू सबकी करे रखवाली
भूले भटके लोगो को तू सन्मार्ग दिखाने वाली
ज्ञान की देवी तू है माता
ज्ञान की देवी तू है माता
सबकी भाग्या विधाता
आनंद मंगल करू आरती जय गायत्री माता (आनंद मंगल करू आरती जय गायत्री माता)
आनंद मंगल करू आरती जय गायत्री माता (आनंद मंगल करू आरती जय गायत्री माता)
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
है तेरी अनुपम माया जिसका कोई पार ना पाया
है तेरी अनुपम माया जिसका कोई पार ना पाया
है कोटि कोटि सूर्यो का तुझमे अद्बूत तेज समाया
तेरे तेज की एक किरण से
तेरे तेज की एक किरण से (तेरे तेज की एक किरण से)
मन उज्जवल हो जाता
आनंद मंगल करू आरती जय गायत्री माता (आनंद मंगल करू आरती जय गायत्री माता)