जो बुझे ना कभी ऐसी आग लगाउंगी
जो बुझे ना कभी ऐसी आग लगाउंगी
जो मिटे ना कभी
जो मिटे ना कभी ऐसा दाग लगाउंगी
जो बुझे ना कभी ऐसी आग लगाउंगी
कौन हूँ मैं अभी तू नही जानता
कौन हूँ मैं अभी तू नही जानता
नाम से मेरे लाखों का दिल कँपता
मेरा मारा तो पानी नही माँगता
मैं लहू से तेरे अपनी माँग सजाऊंगी
मैं लहू से तेरे अपनी माँग सजाऊंगी
जु बुझे ना कभी ऐसी आग लगाउंगी
जानती हूँ बड़ा बा का छैला है तू
जानती हूँ बड़ा बा का छैला है तू
तन का उजाला सही मन का मैला है तू
क्या खबर कितनी जानो से खेला है तू
आज अपना तुझे मे खिलोना बनाउंगी
आज अपना तुझे मे खिलोना बनाउंगी
जो मिटे ना कभी ऐसा दाग लगाउंगी