न जी भर के देखा न कुछ बात की
हा न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की, मुलाक़ात की
न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
न जी भर के देखा
हुआ क्या जो काबू मे रह ना सके
हुआ क्या जो काबू मे रह ना सके
वो एक शेर भी आज कह ना सके
बड़ी धूम थी जिनके नगमात की
बड़ी धूम थी जिनके नगमात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की, मुलाक़ात की
न जी भर के देखा न कुछ बात की
था जिनको बोहोत शौख़ दीदार का
था जिनको बोहोत शौख़ दीदार का
नहीं हौसला उनमे गुफ़्तार का
बदल दी रविश हमने हालात की
बदल दी रविश हमने हालात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की, मुलाक़ात की
न जी भर के देखा न कुछ बात की
खुदा के लिए कुछ तो इरशाद हो
खुदा के लिए कुछ तो इरशाद हो
दुहाई हो शिकवा हो फ़रियाद हो
कोई तर्ज माने हो जज़्बात की
कोई तर्ज माने हो जज़्बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की, मुलाक़ात की
न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की