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Ravindra Jain - Kahe Vilamb Karo Aavan Mein Sita Janak Dulari Lyrics



Ravindra Jain - Kahe Vilamb Karo Aavan Mein Sita Janak Dulari Lyrics
Official




काहे विलंब करो आवन मे सीता जनक दुलारी
रघुवर व्याकुल, लक्ष्मण आकुल देखे राह तिहारी
जब तक था कर्तव्य प्रमुख तब तक तो पीड़ा मौन रही
विरह व्यथित अंतर रे, अंतर से अंतर की बात कही
अब तो प्रतीक्षा का एक एक पल पर्वत से भी भारी
काहे विलंब करो आवन मे
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काहे विलंब करो आवन मे सीता जनक दुलारी
रघुवर व्याकुल, लक्ष्मण आकुल देखे राह तिहारी
जब तक था कर्तव्य प्रमुख तब तक तो पीड़ा मौन रही
विरह व्यथित अंतर रे, अंतर से अंतर की बात कही
अब तो प्रतीक्षा का एक एक पल पर्वत से भी भारी
काहे विलंब करो आवन मे
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Writer: Sugeetha Menon, Varun J Thilak
Copyright: Lyrics © Divo TV Private Limited, Sony/ATV Music Publishing LLC




Ravindra Jain - Kahe Vilamb Karo Aavan Mein Sita Janak Dulari Video
(Show video at the top of the page)

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