लता ओट तब सखिन्ह लखाए
लता ओट तब सखिन्ह लखाए
स्यामल-गौर किशोर सुहाए
स्यामल-गौर किशोर सुहाए
सुमिरि सिया नारद बचन
उपजी प्रीती पुनीत
चकित बिलोकति सकल दिसि
जनु सिसु मृगी सभीत
देखि रूप लोचन ललचाने
हरषे जनु निज निधि पहिचाने
हरषे जनु निज निधि पहिचाने
एक दूजे को निरखत
मन न अघाए
एक दूजे को देखत
मन न अघाए
राम-सिया मय
सिया-राम मय
राम-सिया मय
सिया-राम मय
एक ही रूप लखाए
एक दूजे को निरखत, मन न अघाए
एक दूजे को देखत, मन न अघाए
अधिक सनेहँ देह भै भोरी
सरद ससिहि जनु चितव चकोरी
सरद ससिहि जनु चितव चकोरी
लोचन मन रामहि उर आनी
दीन्हे पालक कपाट सयानी
दीन्हे पालक कपाट सयानी