खींच लाया तुझे अहसास-ए-तहफ़्फुज़ मुझ तक
खींच लाया तुझे अहसास-ए-तहफ़्फुज़ मुझ तक
हमसफ़र होने का तेरा भी इरादा कब था
हमसफ़र होने का तेरा भी इरादा कब था
खींच लाया तुझे अहसास-ए-तहफ़्फुज़ मुझ तक
उसने मेरी ही रफ़कत को बनाया मुलजिम
उसने मेरी ही रफ़कत को बनाया मुलजिम
मैं अगर भीड़ में थी वो भी अकेला कब था
मैं अगर भीड़ में थी वो भी अकेला कब था
खींच लाया तुझे अहसास-ए-तहफ़्फुज़ मुझ तक
वो तेरा एहदे वफ़ा याद है अब तक लेकिन
वो तेरा एहदे वफ़ा याद है अब तक लेकिन
वो तेरा एहदे वफ़ा याद है अब तक लेकिन
भूल बैठी हूँ मोहब्बत का जमाना कब था
भूल बैठी हूँ मोहब्बत का जमाना कब था
खींच लाया तुझे अहसास-ए-तहफ़्फुज़ मुझ तक
जाहिरन साथ वो मेरे था मगर आँखो से
जाहिरन साथ वो मेरे था मगर आँखो से
बदगुमानी के नकाबो को उतारा कब था
बदगुमानी के नकाबो को उतारा कब था
खींच लाया तुझे अहसास-ए-तहफ़्फुज़ मुझ तक
हमसफ़र होने का तेरा भी इरादा कब था
खींच लाया तुझे अहसास-ए-तहफ़्फुज़ मुझ तक