ये मौसम ये रात चुप है, ये होंठों की बात चुप है
खामोशी सुनाने लगी, है दास्तां
ये मौसम ये रात चुप है, ये होंठों की बात चुप है
खामोशी सुनाने लगी, है दास्तां
नज़र बन गई है, दिल की ज़ुबां
न तुम हमें जानो, न हम तुम्हें जानें
मगर लगता है कुछ ऐसा, मेरा हमदम मिल गया
न तुम हमें जानो, न हम तुम्हें जानें
मगर लगता है कुछ ऐसा, मेरा हमदम मिल गया