[ Featuring Sangita Singhh ]
शिव में लीं श्वेतकेतु को जब काल डरने आया
खोल के अपने त्रिनेत्र शिव ने क्रोध दिखाया
भस्म कर दिया काल को भी, जब भक्तों पे संकट छाया
मृत्यु ना उसकी हो आकल जो भक्ति में समाया
महादेव की महिमा अपरंपार है
उनकी दया से ये संसार है
महादेव की महिमा अपरंपार है
महादेव की महिमा अपरंपार है
महादेव की महिमा अपरंपार है
शिव पूजन से ऋषि ने पुत्र का सुख था पाया
तेज प्रतापी बालक वो मार्कण्डेय कहलाया
जान गये जब माता पिता, है मृत्यु का उसपे साया
दुख और संताप लिए पुत्रा को जाके बताया
डर क्यूँ भला काल से
शरण में जो महाकाल के
उनकी दया से ये संसार है
महादेव की महिमा अपरंपार है
महादेव की महिमा अपरंपार है
मार्कण्डेय की मृत्यु का समय निकट जब था आया
दीर्घायु वरदान के लिए शिव का ध्यान लगाया
कर रचना महामृत्युंज की ज्योत जलाया
हुए प्रसन्न भोलेनात और यम को दूर भगाया
डर क्यूँ भला काल से
शरण में जो महाकाल के
उनकी दया से ये संसार है
महादेव की महिमा अपरंपार है
महादेव की महिमा अपरंपार है
महादेव की महिमा अपरंपार है