झूठी हैं ये सारी क़समें, सारे वादे प्यार के
दफ़न मैं उनको हूँ कर आया जश्न में अपनी हार के
तो फिर क्यूँ आँखों में नमी? क्यूँ मैं रोता हूँ आज भी
क्या खलती तेरी है कमी? क्यूँ मैं रोता हूँ
झूठी हैं ये सारी क़समें, सारे वादे प्यार के
दफ़न मैं उनको हूँ कर आया जश्न में अपनी हार के
तो फिर क्यूँ आँखों में नमी? क्यूँ मैं रोता हूँ आज भी
हाँ, खलती तेरी है कमी, जो मैं रोता हूँ आज भी