ना दर्द है, ना ग़म तेरे
ना इश्क़ है, ना तेरी वो चाहतें
हाँ, ख़ुश हूँ मैं तेरे बिना
ना मुझमें बची कहीं तेरी आदतें
है फिर क्यूँ आँखों में नमी? क्यूँ मैं रोता हूँ आज भी?
क्या खलती तेरी है कमी? क्यूँ मैं रोता हूँ आज भी?
है फिर क्यूँ आँखों में नमी? क्यूँ मैं रोता हूँ आज भी?
क्या खलती तेरी है कमी?
तुमने कहा था, "साथ जिएँगे, होंगे जुदा ना हम कभी
हाथ ये थामे चलती रहूँगी, वक्त ये ले जाए कहीं"
झूठी हैं ये सारी क़स्में, सारे वादे प्यार के
दफ़्न मैं उनको हूँ कर आया जश्न में अपनी हार के
तो फिर क्यूँ आँखों में नमी? क्यूँ मैं रोता हूँ आज भी?
क्या खलती तेरी है कमी? क्यूँ मैं रोता हूँ आज भी?
तो फिर क्यूँ आँखों में नमी? क्यूँ मैं रोता हूँ आज भी?
हाँ, खलती तेरी है कमी, जो मैं रोता हूँ आज भी