आ आ आ आ
आ आ आ आ
बनते है कुछ सपने, बिखरने ही तो
मिलते है कुछ अपने, बिछड़ने ही तो
आँखें मेरी ताकि है, सोना में चाहूं, नींद आए
ख्वाबों में मिलना है, तुझे चूना है, बाहों में पाए
तेरी की कभी ना कदर
रूठा था में या खुदसे खुदसे था खुदसे ही बेख़बर बेख़बर
कोशिश बहुत की तुमने, लाने नयी सहेर
दर्द का था वो मौसम, बस तेरा आलम, थी बेबसी
तू थी तो हमसफ़र है, अब समझा मैने, जब तू नही
तेरी की कभी ना कदर
बदलना चाहूं हर एक लम्हा जहा ना की तेरी फिकर
प्यार से दुनिया भरना में चाहूं, खुशियाँ ही देखे तेरी हर नज़र
हा आ दर्द का था वो मौसम, बस तेरा आलम, थी बेबसी
तू थी तो हमसफ़र है, अब समझा मैने, जब तू नही
तेरी की कभी ना कदर
तू थी तो हमसफ़र है, अब समझा मैने
तेरी की कभी ना कदर