नई नहीं हैं, ये बातें वही
फिर इस मोड़ पर हम मिले हैं
ना जाने अब मिलेंगे हम कभी
तो रुक जाओ एक पल यहाँ पे
ये नर्म चादरों की सिलवटें
तुझे अभी बुला रही हैं
ना जाओ दूर इनसे, कहें ये
सुकूँ कहाँ पे है हासिल
दिल को मेरे ये है पता
कि मीलों का ये फ़ासला है
अलग आसमाँ भी है तो क्या
ये दिल ना माने