चल पड़े राह पे
ढूँढते राह को
रात का कारवाँ
ढूंढता सुबह को
कल का यह अरमान
भूली दास्तान
दे रही है तुझको सदा
चल पड़े राह पे
ढूँढते राह को
मंज़िलों के सपने लिए
आह आसु पीछे छोड़ के
दूर से सुनी
सदा यार की
फिर जवान हुई
याद प्यार की
कदमों में पर से लगे
चल पड़े राह पे
ढूँढते राह को
रात का कारवाँ
ढूंढता सुबह को
अरमान हुए फिर जवान
यादों की परछाइयां
सपनों की बातें करने लगे
हल्के से कानों में मेरे
साहिल पे जो लहरें रुके
थम से गये तेरे लिए
चल पड़े राह पे
ढूँढते राह को
रात का कारवाँ
ढूंढता सुबह को
ढूंढता सुबह को
ढूंढता सुबह को