हे चिंगारी कोइ भड़के
चिंगारी कोइ भड़के तो सावन उसे बुझाये
सावन जो अगन लगाये उसे कौन बुझाये
हो उसे कौन बुझाये
पतझड़ जो बाग़ उजाड़े
वो बाग़ बहार खिलाये
जो बाग़ बहार में उजड़े उसे कौन खिलाये
हो उसे कौन खिलाये
हम से मत पूछो कैसे मंदिर टूटा सपनों का
हम से मत पूछो कैसे मंदिर टूटा सपनों का
लोगों की बात नहीं है ये किस्सा हैं अपनों का
कोइ दुश्मन ठेंस लगाये तो मीत जिया बहलाये
मनमीत जो घांव लगाये, उसे कौन मिटाये
हो उसे कौन मिटाये
माना तूफ़ान के आगे नहीं चलता जोर किसी का
माना तूफ़ान के आगे नहीं चलता जोर किसी का
मौजों का दोष नहीं है ये दोष हैं और किसी का
मज़धार में नैय्या डोले तो मांझी पार लगाये
मांझी जो नाँव डुबोये, उसे कौन बचाये
हो उसे कौन बचाये
चिंगारी
चिंगारी