[ Featuring Mohammed Aziz ]
पल मे खफा कभी पल मे मगन
पल मे खफा कभी पल मे मगन
है बात क्या ए शोला बदन
कभी तू बुझती कभी भड़कती
फिरती हो कहा
दुश्मन है वो जा का
ढूंडू उसे में परेशान यहाँ वहा
पल मे खफा कभी पल मे मगन
है बात क्या ए शोला बदन
कभी तू बुझती कभी भड़कती
फिरती हो कहा
दुश्मन है वो जा का
ढूंडू उसे में परेशान
चिंगारिया हसीन आँखो की
आए मेरी शमा किसे जलाएगी आज
चिंगारिया हसीन आँखो की
आए मेरी शमा किसे जलाएगी आज
ये ना पूछो देख ही जाओ
ये सुलगती सी नज़र
कैसे कैसे च्छूपने वाले
चेहरो से परदा हटाएगी आज
पल मे खफा कभी पल मे मगन
है बात क्या आए शोला बदन
कभी तू बुझती कभी भड़कती
फिरती हो कहा
दुश्मन है वो जा का
ढूंडू उसे में परेशान
कैसे बचोगे मेरी नज़र से
देखो ना जानेमन ये है चिरागो की शाम
कैसे बचोगे मेरी नज़र से
देखो ना जानेमन ये है चिरागो की शाम
इन चिरागो की ज़ूबा पर
नाम जिसका लिखा है
ज़ालिमो का कतलीओ का
समझो के है आज किस्सा तमाम
पल मे खफा कभी पल मे मगन
है बात क्या आए शोला बदन
कभी तू बुझती कभी भड़कती
फिरती हो कहा
दुश्मन है वो जा का
ढूंडू उसे में परेशान