दिल से जुड़े वो रिश्ते कई
आँखों ही आँखों में समझाओ ना
मशग़ूलल हो या हो तुम खफा
तुम दिल की बातों को कहजाओ ना
दिल से जुड़े वो रिश्ते कई
आँखों ही आँखों में समझाओ ना
हो तुम खफा क्यूँ खामोशियाँ है
कहती मुझे कुछ जो दिल ने कहा
छोड़ो सभी गीले वो नही
तुम भी आस्मा में हो
घुले कही
घुले कही
मीठी तेरी
है यह मस्तियाँ
कुछ कम ज़रा हम को ठुकराव ना
तुझमें बसी
है दिल की खुशी
क्यूँ रुक रहे ना
जुदा हो कभी
मिल जाने दे
खुदको खुशी से
जहा रहता है दिल
अकेला
गुज़ारिश है तुझसे मेरी
गुस्ताखियाँ
गुस्ताखियाँ
भूल
जाओ ना