वो कहते है इश्क़ हद में करो
जो इश्क़ क्या है ना जाने
ये दिल तो अनपढ़ देहाती सा है
क्या कुछ लिखा है क्या जाने
बाहर से देखा जिन्होंने
अंदर चले क्या क्या जाने
हम जल जायेंगे राख बचेगी
इश्क़ में एक ना आग बचेगी
फिर भी इन सिली आखों में
आखरी लौ तक आस बचेगी
जल जायेंगे राख बचेगी
इश्क़ में एक ना आग बचेगी
फिर भी इन सिली आखों में
आखरी लौ तक आस बचेगी
अहं अहं ओ ओ ओ
चुप तो ना होगी मोहोबत
दुश्वारियों से डरा के
उम्मीद इसका लहू है
है दर्द इसकी खुराकें
जितने जख्म और जुड़ेंगे
उतना बढ़ेंगी ये शाखे
वो काट डाले हमे चाहे रोज
जिद जड़ में है क्या करे
एक प्यार एक जंग
दोनों के दोष
एक घर में है क्या करेंगे
एक दिल ही खुद में बहोत हे
किस किस की परवाह करेंगे
हम जल जायेंगे राख बचेगी
इश्क़ में एक ना आग बचेगी
फिर भी इन सिली आखों में
आखरी लौ तक आस बचेगी
जल जायेंगे राख बचेगी
इश्क़ में एक ना आग बचेगी
फिर भी इन सिली आखों में
आखरी लौ तक आस बचेगी
ऊ ऊ ऊ ऊ अहं अहं