ढूँढू कहाँ तुम्हें
वो भी क्या शाम थी
बरसे थे टूट के
बादल जुलाई के हर जगह
हाथों में छत्रीयाँ
दोनों के थी मगर
भीगे थे दोनों ही बेवजह
वो बारिशें क्या हो गई
क्या हो गई वो बारिशें
तुम बेनिशां क्यूँ हो गए
ढूँढू कहाँ तुम्हें
हज़ारों आँसू मैं संभाले बैठा हूँ
रुलाने आई हैं मुझे जाने क्यूँ यादें
भुलाऊँ कैसे मैं वो सारी बरसातें
गुज़ारी थी हमने जो साथ में
वो बारिशें क्या हो गई
क्या हो गई वो बारिशें
तुम बेनिशां क्यूँ हो गए
ढूँढू कहाँ तुम्हें
शामें ये नीली सी शामें
आई तो लाई याद तेरी याद
मैं हूँ तेरे बिना तन्हा
लौटा दे मुझे वो भीगा हुआ लम्हा ओ
वो बारिशें क्या हो गई
क्या हो गई वो बारिशें
तुम बेनिशां क्यूँ हो गए
वो बारिशें, वो बारिशें, वो बारिशें क्या हो गई
क्या हो गई वो बारिशें
ये दूरियाँ, क्यूँ आ गई
रहना था संग हमें