मुनिवर सयन कीन्हि तब जाई
लगे चरन चापन दोउ भाई
लगे चरन चापन दोउ भाई
जिन्ह के चरन सरोरुह लागी
करत विविध जप जोग बिरागी
करत विविध जप जोग बिरागी
तेइ दोउ बंधु प्रेम जनु जीते
गुरु पद कमल पलोट कपीते
गुरु पद कमल पलोट कपीते
बार बार मुनि अज्ञा दीन्ही
बार बार मुनि अज्ञा दीन्ही
रघुवर जाय सयन तब कीन्ही
रघुवर जाय सयन तब कीन्ही
चापत चरन
चापत चरन लखनु उर लाएँ
सभय सप्रेम परम सचु पाएँ
चापत चरन लखनु उर लाएँ
पुनि पुनि प्रभु कह सोवहु ताता
पुनि पुनि प्रभु कह सोवहु ताता
पौड़ी धरि उर पद जलजाता
पौड़ी धरि उर पद जलजाता