नवधा भगति कहउँ तोहि पाहीं
सावधान सुनु धरु मन माहीं
प्रथम भगति संतन्ह कर संगा
दूसरि रति प्रभु कथा प्रसंगा
गुरु पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान
चौथि भगति प्रभु गुन गन करइ कपट तजि गान
मंत्र जाप मम दृढ़ विश्वासा पंचम भजन सो बेद प्रकासा
छठ दम सील बिरति बहु करमा
निरत निरंतर सज्जन धरमा
सातवँ सम हरि भय नग देखा
हरि ते संत अधिक करि लेखा
आठवाँ जथालाभ संतोषा
सपनेहुँ नहिं देखइ परदोषा
नवम सरल सब सन छलहीना
हरि भरोस हियँ हरष न दीन्हा
नवधा भगत सबरी कह दीन्ही
सादर सबरी शीश धरी लिन्ही