Back to Top

Asha Bhosale - Yaal Kadhi Ho Ghari Lyrics



Asha Bhosale - Yaal Kadhi Ho Ghari Lyrics
Official




आ आ आ आ आ आ
याल कधी हो घरी घरधनी
याल कधी हो घरी घरधनी
उगाच आले मन अंधारून
उगाच आले मन अंधारून
भीती दाटली उरी आ आ
याल कधी आ आ
याल कधी
याल कधी हो घरी घरधनी
याल कधी हो घरी

आ आ आ आ आ
असाल कोठे कुठल्या ठायी
कुठे चालली घोर लढाई
रक्त गोठते म्हणती तेथे
बर्फाच्या डोंगरी आ आ
याल कधी आ आ
याल कधी
याल कधी हो घरी घरधनी
याल कधी हो घरी

हे दुबळेपण मज न शोभते
हे दुबळेपण मज न शोभते
सुदैवेच हे दु:ख लाभते
सात पिढ्यांनी अशीच केली
देशाची चाकरी आ आ
याल कधी आ आ
याल कधी
याल कधी हो घरी घरधनी
याल कधी हो घरी

वीरपत् नी मी वीरकन्यका
गिळून टाकीन व्यथा हुंदका
नका तुम्हीही घरा आठवू
शर्थ करा संगरी
संगरी
[ Correct these Lyrics ]

We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.


We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.




आ आ आ आ आ आ
याल कधी हो घरी घरधनी
याल कधी हो घरी घरधनी
उगाच आले मन अंधारून
उगाच आले मन अंधारून
भीती दाटली उरी आ आ
याल कधी आ आ
याल कधी
याल कधी हो घरी घरधनी
याल कधी हो घरी

आ आ आ आ आ
असाल कोठे कुठल्या ठायी
कुठे चालली घोर लढाई
रक्त गोठते म्हणती तेथे
बर्फाच्या डोंगरी आ आ
याल कधी आ आ
याल कधी
याल कधी हो घरी घरधनी
याल कधी हो घरी

हे दुबळेपण मज न शोभते
हे दुबळेपण मज न शोभते
सुदैवेच हे दु:ख लाभते
सात पिढ्यांनी अशीच केली
देशाची चाकरी आ आ
याल कधी आ आ
याल कधी
याल कधी हो घरी घरधनी
याल कधी हो घरी

वीरपत् नी मी वीरकन्यका
गिळून टाकीन व्यथा हुंदका
नका तुम्हीही घरा आठवू
शर्थ करा संगरी
संगरी
[ Correct these Lyrics ]
Writer: G D Madgulkar, Vasant Desai
Copyright: Lyrics © Royalty Network

Back to: Asha Bhosale



Asha Bhosale - Yaal Kadhi Ho Ghari Video
(Show video at the top of the page)


Performed By: Asha Bhosale
Length: 3:29
Written by: G D Madgulkar, Vasant Desai

Tags:
No tags yet