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Basti Basti Nagri Nagri Video (MV)




Performed By: Asha Bhosle
Featuring: Mohammed Rafi
Length: 5:15
Written by: Ravi, MALIK VERMA




Asha Bhosle - Basti Basti Nagri Nagri Lyrics
Official




[ Featuring Mohammed Rafi ]

हो बस्ती बस्ती नगरी नगरी
कह दो गाँव गाँव में
कल तक थे जो सर पे छाडे
वो आज पड़े है पाँव में
रे बस्ती बस्ती नगरी नगरी
कह दो गाँव गाँव में
कल तक थे जो सर पे छाडे
वो आज पड़े है पाँव में

इतनी छोटी सी गलती की
इतनी बड़ी सजा न दो
भुल की माफ़ी मांग रहा हु
अब तो मुझको माफ़ करो
भुल की माफ़ी मांग रहा हु
अब तो मुझको माफ़ करो

अभी तो तुमको पता चलेगा
क्या है आटे दाल का भाव
अपनी करनी का फल भोगा
माफ़ी वफी भूल जाओ
अपनी करनी का फल भोगा
माफ़ी वफी भूल जाओ

अरे वक़्त बदलते देर लगे न
वक़्त बदलते देर लगे न
उस मालिक से कुछ तो डरो
हुस्न पे इतना न इतराओ
कल की भी कुछ फ़िक्र करो

हुस्न में कितनी ताकत है
तुम भूल गए नादानी में
शर्म है कुछ तो डूब मरो
तुम अब चुल्लू भर पानी में
शर्म है कुछ तो डूब मरो
तुम अब चुल्लू भर पानी में

बहुत निरादर हुआ हमारा
रहा नहीं दिल पर काबू
तोड़के बंधन दुनिया के
अब होने चले है हम साधु
अब होने चले है हम साधु

बरसो लग जायेंगे भैया
उगने में असली दाढ़ी
इसीलिए झोले में रख कर
लाया हु नकली दाढ़ी
यदि कुँवारी कन्या कोई
संकट में फास जायेगी
तोड़ समाधि मदद करूँगा
जब भी वो चिल्लायेगी
अलविदा
अलविदा
अलविदा
अलविदा
ऐ दुनिया वालो कहा सुना बिसरा देना
मेरे ह्रदय की दुखद कथा
तुम इस यंत्र से सुन लेना
जय शंकर
यंतर बंद किया तो क्या
यंतर बंद किया तो क्या
हम धुनि यही रमायेंगे
बच्चे बच्चे को बच्चा
अब साडी कथा सुनाएंगे

जय हो जय हो स्वामी जी की
भेद जगत का छुपा है
स्वामी आज तुम्हारी आँखों में
उनपर ांचा न आये जिनकी
लाज तुम्हारे हाथों में

नहीं
साधु का घोर अपमान हुआ है

फ़ेंक दो झोला नोच लो दाढ़ी

दाढ़ी

फ़ेंक दो झोला नोच लो दाढ़ी
अपने दिल को साफ़ करो
हमने अपनी गलती मानी
अब तो हमको माफ़ करो

दोस्त का इतना करे निरादर
अपना नहीं ये सेवा है
जो भी चली शरण में आये
उसको मिलती मेवा है

बस्ती बस्ती नगरी नगरी
कह दो गाँव गाँव में

बस्ती बस्ती नगरी नगरी (बस्ती बस्ती नगरी नगरी)
कह दो गाँव गाँव में (कह दो गाँव गाँव में)

कल तक थे जो बिगड़े बिगड़े
आज है अपनी बाहों में
कल तक थे जो बिगड़े बिगड़े
आज है अपनी बाहों में
आज है अपनी बाहों में
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हो बस्ती बस्ती नगरी नगरी
कह दो गाँव गाँव में
कल तक थे जो सर पे छाडे
वो आज पड़े है पाँव में
रे बस्ती बस्ती नगरी नगरी
कह दो गाँव गाँव में
कल तक थे जो सर पे छाडे
वो आज पड़े है पाँव में

इतनी छोटी सी गलती की
इतनी बड़ी सजा न दो
भुल की माफ़ी मांग रहा हु
अब तो मुझको माफ़ करो
भुल की माफ़ी मांग रहा हु
अब तो मुझको माफ़ करो

अभी तो तुमको पता चलेगा
क्या है आटे दाल का भाव
अपनी करनी का फल भोगा
माफ़ी वफी भूल जाओ
अपनी करनी का फल भोगा
माफ़ी वफी भूल जाओ

अरे वक़्त बदलते देर लगे न
वक़्त बदलते देर लगे न
उस मालिक से कुछ तो डरो
हुस्न पे इतना न इतराओ
कल की भी कुछ फ़िक्र करो

हुस्न में कितनी ताकत है
तुम भूल गए नादानी में
शर्म है कुछ तो डूब मरो
तुम अब चुल्लू भर पानी में
शर्म है कुछ तो डूब मरो
तुम अब चुल्लू भर पानी में

बहुत निरादर हुआ हमारा
रहा नहीं दिल पर काबू
तोड़के बंधन दुनिया के
अब होने चले है हम साधु
अब होने चले है हम साधु

बरसो लग जायेंगे भैया
उगने में असली दाढ़ी
इसीलिए झोले में रख कर
लाया हु नकली दाढ़ी
यदि कुँवारी कन्या कोई
संकट में फास जायेगी
तोड़ समाधि मदद करूँगा
जब भी वो चिल्लायेगी
अलविदा
अलविदा
अलविदा
अलविदा
ऐ दुनिया वालो कहा सुना बिसरा देना
मेरे ह्रदय की दुखद कथा
तुम इस यंत्र से सुन लेना
जय शंकर
यंतर बंद किया तो क्या
यंतर बंद किया तो क्या
हम धुनि यही रमायेंगे
बच्चे बच्चे को बच्चा
अब साडी कथा सुनाएंगे

जय हो जय हो स्वामी जी की
भेद जगत का छुपा है
स्वामी आज तुम्हारी आँखों में
उनपर ांचा न आये जिनकी
लाज तुम्हारे हाथों में

नहीं
साधु का घोर अपमान हुआ है

फ़ेंक दो झोला नोच लो दाढ़ी

दाढ़ी

फ़ेंक दो झोला नोच लो दाढ़ी
अपने दिल को साफ़ करो
हमने अपनी गलती मानी
अब तो हमको माफ़ करो

दोस्त का इतना करे निरादर
अपना नहीं ये सेवा है
जो भी चली शरण में आये
उसको मिलती मेवा है

बस्ती बस्ती नगरी नगरी
कह दो गाँव गाँव में

बस्ती बस्ती नगरी नगरी (बस्ती बस्ती नगरी नगरी)
कह दो गाँव गाँव में (कह दो गाँव गाँव में)

कल तक थे जो बिगड़े बिगड़े
आज है अपनी बाहों में
कल तक थे जो बिगड़े बिगड़े
आज है अपनी बाहों में
आज है अपनी बाहों में
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Ravi, MALIK VERMA
Copyright: Lyrics © Royalty Network

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