हे श्याम कहूँ कैसे, हैं मोह यहाँ ऐसे
जैसे चन्दन से, लिपटें हो नाग
तेरे भी द्वार आके, भजन तेरे गा के
छूटे मन का नहीं अनुराग
है श्याम कहूँ कैसे
चाहूँ भुलाना मैं बिसरना
हर सपना बदनाम, हर सपना बदनाम हो
लाख मिटाया मिट नहीं पाया
लाख मिटाया मिट नहीं पाया
फ़िर भी किसी का नाम
हे श्याम है श्याम, हे श्याम कहूँ कैसे
हैं जग सारा ये बंजारा, पल दो पल का धाम
पल दो पल का धाम हो ओ ओ
दो पल में भी माया ममता
दो पल में भी माया ममता
लेती हैं आँचल थाम
हे श्याम है श्याम तेरे भी द्वार आके, भजन तेरे गा के छूटे मन का नहीं अनुराग हे श्याम कहूँ कैसे