एक दिन चंचल सखियों ने राधा को घेर लिया
और लगी उसे सताने
सुन राधा मोहन तेरा काला आ
सुन राधा मोहन तेरा काला आ
जा देख लूटी रे ब्रिजबाला
जा देख लूटी रे ब्रिजबाला
सुन राधा मोहन तेरा काला आ
आ आ आ
आ आ आ
बोल कभी अपनी परच्छाईं
देखी है दर्पण में
देखी है तो देख के भी क्यूँ
श्याम बसायो मन में
सखी आज बता सौभाग्य है क्या
जिस कारण भाए नंदलाला
सुन राधा मोहन तेरा काला
सुन राधा मोहन तेरा काला
ये सुन कर राधा बोली
सुन री सखी सुन
मैं तो ना जानूँ
कैसी है मेरी सूरतिया आ
जब जब दर्पण में मुख देखूं
दीखत श्याम मूरतिया
काला है चितचोर तो क्या सखी
काली रैन भी होये
काली रैन ना हो तो कैसे
चैन से दुनिया सोए
मुख पर काले काले तिल को
रूप की शोभा माने
काले केश ना हो तो कैसे
जोगन रुत पहचाने
अब समझी सखी
चिट लागा मेरे क्यूँ काला
चिट लागा मेरे क्यूँ काला
कुछ देख लुटेरे ब्रिजबाला
कुछ देख लुटेरे ब्रिजबाला
चिट लागा मेरे क्यूँ काला आ
नि नि सा नि धा
धा सा रे सा गा नि धा सा
नि नि धा पा मा पा मा
गा पा नि धा पा
चिट लागा मेरे क्यूँ काला
मेरे क्यूँ काला
मेरे क्यूँ काला