ये ज़ालिम मोहब्बत की चाट
बड़ी तीखी बड़ी चटपटी
अपने अपने मुकदर की बात
किसके हिस्से में कितनी बटी
ये ज़ालिम मोहब्बत की चाट
बड़ी तीखी बड़ी चटपटी
जो नज़र न मिलै न जिगर पे चोट खाई
उस दिल का फायदा क्या
जो किसी पे आ न जाये
है वो ज़िंदगी भी कोई ज़िंदगी जो मोहोबत
किये बिन कटि
ये ज़ालिम मोहब्बत की चाट
बड़ी तीखी बड़ी चटपटी
जो हुआ न किसी का दुश्मन
है ज़िंदगी का ले ले मज़ा जहाँ मे
दम भर तो आश्कि का
तू जिए भी तो क्या दो घडी
के लिए जो न ये प्यार की हटपटी
ये ज़ालिम मोहब्बत की चाट
बड़ी तीखी बड़ी चटपटी
ये दिल कों जाने लुट जाये
किस बहाने लूटने भी दे
ख़ुशी से प्यार के ज़मानेये हे
लुट गए दिल कई मिट गए दिल कई
पर मोहोबत कभी न घटी
ये ज़ालिम मोहब्बत की चाट
बड़ी तीखी बड़ी चटपटी
अपने अपने मुकदर की बात
किसके हिस्से में कितनी बटी