दिली कोंबड्यानी बांग
विझे चांदण्याची रांग
ये जाग पाखरांना तो ऐक किलबिलाट
झाली भली पहाट
झाली भली पहाट
रे ऊठ रानराजा
झाली भली पहाट
झाली भली पहाट
आ आ आ आ आ
मुक् या लेकराची माय
हंबरते माझी गाय
घे ओढ वासरू ते
घे ओढ वासरू ते
रुतली गळ्यात गाठ
झाली भली पहाट
झाली भली पहाट
रे ऊठ रानराजा आ आ आ आ आ
झाली भली पहाट आ आ आ आ आ
झाली भली पहाट आ आ आ आ आ
पुरे लेकराची आस
झरे माउलीची कांस
त्या झेलताच धारा
त्या झेलताच धारा
आला भरून माठ
झाली भली पहाट
झाली भली पहाट
रे ऊठ रानराजा आ आ आ आ आ
झाली भली पहाट आ आ आ आ आ
झाली भली पहाट आ आ आ आ आ