कुछ सुस्त क़दम रस्ते
इस मोड़ से जाते हैं
कुछ सुस्त क़दम रस्ते
कुछ तेज़ क़दम राहें
इस मोड़ से जाते हैं
सहारा की तरफ जा कर
इक राह बगोलों में
खो जाती है चकरा कर
इक राह उधड़ती सी
चिलती हुई काँटों से
जंगल से गुज़रती है
इक दौड़ के जाती है
और कुद के गिरती है
अनजान कलाओं में
इस मोड़ से जाते हैं
उस मोड़ पे बैठा हु
जिस मोड़ से जाती है
हर एक तरफ राहें
इक रोज़ तो यून होगा
इस मोड़ पे आकर तुम
रुक जाओगी कह डोगी
वो कौन सा रस्ता है
जिस राह पे जाना है
जिस राह पे जाना है
वो कौन सा रस्ता है
जिस राह पे जाना है
जिस राह पे जाना है
वो कौन सा रस्ता है