Back to Top

Bombay Jayashri - Mamta Se Bhari Lyrics



Bombay Jayashri - Mamta Se Bhari Lyrics
Official




ममता से भरी तुझे छाओं मिली
जुग जुग जीना तू बाहुबली

है जहां विष और अमृत भी
मन वो मंथन छलिये

महिष पति का वंशज वो
जिसे कहते बाहुबली
रणमें वो ऐसे टूटे
जैसे टूटे कोई बिजली

है जहाँ विष और अमृत भी
मनन व मंथन स्थली

तलवारें जब वो लहराएं
छत्र बिन मस्तक हो जाए
शत्रु दल ये सोच न पाये
जाए
बच के
कहाँ

माता है भाग्य विधाता
मुल्लाह साथी कहलाता
ऐसा अधभुत वो राजा
सबका
मन जो
जीते वो
शाशन वही सिर्गामी कहे जो
रण दोनों धरम का
मन निछलता हर क्षण

है जहाँ विष और अमृत भी
मन व मंथन स्थली
[ Correct these Lyrics ]

We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.


We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.




ममता से भरी तुझे छाओं मिली
जुग जुग जीना तू बाहुबली

है जहां विष और अमृत भी
मन वो मंथन छलिये

महिष पति का वंशज वो
जिसे कहते बाहुबली
रणमें वो ऐसे टूटे
जैसे टूटे कोई बिजली

है जहाँ विष और अमृत भी
मनन व मंथन स्थली

तलवारें जब वो लहराएं
छत्र बिन मस्तक हो जाए
शत्रु दल ये सोच न पाये
जाए
बच के
कहाँ

माता है भाग्य विधाता
मुल्लाह साथी कहलाता
ऐसा अधभुत वो राजा
सबका
मन जो
जीते वो
शाशन वही सिर्गामी कहे जो
रण दोनों धरम का
मन निछलता हर क्षण

है जहाँ विष और अमृत भी
मन व मंथन स्थली
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Manoj Muntashir
Copyright: Lyrics © Raleigh Music Publishing LLC




Bombay Jayashri - Mamta Se Bhari Video
(Show video at the top of the page)


Performed By: Bombay Jayashri
Length: 3:49
Written by: Manoj Muntashir

Tags:
No tags yet