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The Call - Shayad Lyrics



The Call - Shayad Lyrics
Official




शायद शायद शायद शायद

मंज़िल मंज़िल मंज़िल मंज़िल

कल की इन बातों में क् या रखा है
सोचो तो कुछ भी नहीं सब खला है
आज भी कुछ बदला नहीं
कल जहाँ था अब भी हूँ वहीं

शायद यही किस्मत में है लिखा
मंज़िल नहीं फिर भी में चल रहा

इन सब सवालों में क्या रख्खा है
क्यूँ में कुछ सोचूँ जब सब फ़ना है
आज फिर उसी मोड़ पे हूँ खड़ा
किस गुनाह की सह रहा हूँ सजा

शायद यही किस्मत में है लिखा
मंज़िल नहीं फिर भी में चल रहा
शायद यही किस्मत में है लिखा
मंज़िल नहीं फिर भी में चल रहा

आ आ आ आ आ

आज भी उसी मोड़ पे हूँ खड़ा(खड़ा)
किस गुनाह की सह रहा हूँ सजा(किस गुनाह की सह रहा हूँ सजा)
शायद यही किस्मत में है लिखा
मंज़िल नहीं फिर भी में चल रहा
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शायद शायद शायद शायद

मंज़िल मंज़िल मंज़िल मंज़िल

कल की इन बातों में क् या रखा है
सोचो तो कुछ भी नहीं सब खला है
आज भी कुछ बदला नहीं
कल जहाँ था अब भी हूँ वहीं

शायद यही किस्मत में है लिखा
मंज़िल नहीं फिर भी में चल रहा

इन सब सवालों में क्या रख्खा है
क्यूँ में कुछ सोचूँ जब सब फ़ना है
आज फिर उसी मोड़ पे हूँ खड़ा
किस गुनाह की सह रहा हूँ सजा

शायद यही किस्मत में है लिखा
मंज़िल नहीं फिर भी में चल रहा
शायद यही किस्मत में है लिखा
मंज़िल नहीं फिर भी में चल रहा

आ आ आ आ आ

आज भी उसी मोड़ पे हूँ खड़ा(खड़ा)
किस गुनाह की सह रहा हूँ सजा(किस गुनाह की सह रहा हूँ सजा)
शायद यही किस्मत में है लिखा
मंज़िल नहीं फिर भी में चल रहा
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Writer: Iqbal Raakin
Copyright: Lyrics © TUNECORE INC, Reservoir Media Management, Inc.

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The Call - Shayad Video
(Show video at the top of the page)


Performed By: The Call
Length: 4:53
Written by: Iqbal Raakin

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