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Chandrani Mukherjee - Pehchan To Thi Pehchana Nahin Lyrics



Chandrani Mukherjee - Pehchan To Thi Pehchana Nahin Lyrics
Official




पहचान तो थी पहचाना नहीं मैंने
अपने आप को जाना नहीं
पहचान तो थी पहचाना नहीं मैंने
अपने आप को जाना नहीं
पहचान तो थी

जब धुप बरसती है सर पे तो
पाव में छाँव खिलती है

मैं भूल गई थी छाँव अगर
मिलती है तो धुप में मिलती है
इस धुप और छाँव की खेल में क्यों जीनेका
इशारा समझा नहीं
पहचान तो थी पहचाना नहीं मैंने
अपने आप को जाना नहीं
पहचान तो थी

मैं जागी रही कुछ सपनो में और
जागी हुई भी सोई रही

जाने किन भूलभुलैया में कुछ
भटकी रही कुछ खोई रही
जिनके लिए मैं मरती रही जीनेका
इशारा समझा नहीं
पहचान तो थी पहचाना नहीं मैंने
अपने आप को जाना नहीं
पहचान तो थी पहचाना नहीं मैंने
अपने आप को जाना नहीं
पहचान तो थी
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पहचान तो थी पहचाना नहीं मैंने
अपने आप को जाना नहीं
पहचान तो थी पहचाना नहीं मैंने
अपने आप को जाना नहीं
पहचान तो थी

जब धुप बरसती है सर पे तो
पाव में छाँव खिलती है

मैं भूल गई थी छाँव अगर
मिलती है तो धुप में मिलती है
इस धुप और छाँव की खेल में क्यों जीनेका
इशारा समझा नहीं
पहचान तो थी पहचाना नहीं मैंने
अपने आप को जाना नहीं
पहचान तो थी

मैं जागी रही कुछ सपनो में और
जागी हुई भी सोई रही

जाने किन भूलभुलैया में कुछ
भटकी रही कुछ खोई रही
जिनके लिए मैं मरती रही जीनेका
इशारा समझा नहीं
पहचान तो थी पहचाना नहीं मैंने
अपने आप को जाना नहीं
पहचान तो थी पहचाना नहीं मैंने
अपने आप को जाना नहीं
पहचान तो थी
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Writer: Gulzar, Kanu Roy
Copyright: Lyrics © Royalty Network




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